कुण्डलिया छंद
अंतस में नैराश्य का, जब जब पले विकार
निंदा रस की गोलियाँ, सहज सरल उपचार
सहज सरल उपचार, जगाती उर्जा मन में
बिना लगाए दाम, भरें ख़ुशियाँ जीवन में
कह बंसल कविराय, लगे जब जीवन नीरस
निंदा से आनंद, अनंत पाएगा अंतस।।
जीवन में यदि आपको, पाना है सम्मान
चाटुकारिता कीजिये, जी भर के श्रीमान
जी भर के श्रीमान, घिसो लोलुपता चंदन
भूल फ़र्ज़ ईमान, करो सत्ता का वंदन
कह बंसल कविराय, न शंशय पालो मन में
चापलूस ही सकल, सिद्धि पाते जीवन में।।
जीवन की गति को अगर, रखना है निर्बाध
जैसे भी मौका मिले, अपना कारज साध
अपना कारज साध, भूल ईमान धर्म को
जुगत भिड़ाना सीख, छोड कर लाज शर्म को
कह बंसल कविराय, झूठ का छल का साधन
रखता है निर्बाध, और आनंदित जीवन।।
— सतीश बंसल