गज़ल
किसी के लब पे जब उल्फत की कहानी आई
याद तब हमको कोई चोट पुरानी आई
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ख्वाहिशें, चाहतें, बेचैनियां, दीवानापन
साथ कितनी बलाएं ले के जवानी आई
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साफगोई नहीं पसंद किसी को दुनिया में
बात दिल की मगर हमें न छुपानी आई
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कोई पहरा कोई बंधन न रोक पाया उसे
मिलने जब मोहन से मीरा दीवानी आई
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जब तेरी याद के बादल हुए काबिज दिल पर
आँख के दरिया में अश्कों की रवानी आई
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।