जवानी पीकदान
सोच हमारी
इतनी संकीर्ण
और
सीमित हो चुकी है
कि
अगर किसी को
‘आई लव यू’ कहते हैं,
तो हम पत्नी,
मंगेतर या प्रेयसी के इतर
सोच नहीं पाते !
××××
आज के हालात में
‘जवानी’
पीकदान की तरह है,
जिनमें सब कोई
थूकयाते हैं,
फिर काहे को
जवानी ज़िंदाबाद
रे छुतरु कोरोनु !
××××
मेरे पोस्ट पर वही आएं,
जो जिंदगी को
हँसी-मजाक लिए
जीना चाहते हैं!
वे नहीं ही आये,
जो मन में
भगंदर रोग से पीड़ित
कथित ‘समाजसेवी’ हैं !