आसान है
दूसरे के कंधे से बंदूक चलाना आसान है।
के जीती हुई बाजी पे दांव लगाना आसान है।
खुद को लगी जब चोट तो क्यों उबल पडे हो,
औरो के बुरे वक्त पे मुस्कुराना आसान है।
धूप,पानी,मौसम का साथ हो फूल खिलते है,
यूं तो ख्वाबों में कोई बाग लगाना आसान है।
जरा कहना किस ने अपने गरेबां में झाँका ,
के दूसरों पे कोई इल्जाम लगाना आसान है।
वो दिन कैसे भुलाये,जब हम साथ साथ थे,
तुम समझते हो के तुम्हें भुलाना आसान है।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”