पत्थरनुमा दिल
पत्थर भी दिल में जगह बना ही लेते हैं,
सिवाय आदमी के !
क्योंकि आदमी को बरगलाने के लिए
उनके पास एक नहीं, कई दिमाग आ जाते हैं !
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हम आईना नहीं देखते, तो क्या हुआ ?
लेकिन एक वो ही है, जो सच के साथ है !
बाकी सब भ्रामक है
यानी सब्जबाग लिए !
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ये बिहार के नेतवन
नियोजित शिक्षकों पर न बोलकर
कभी प्याज,
तो कभी अनर्गल मुद्दा उछालकर
तंत्र में प्रजा को गुमराह कर रहे हैं!
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” प्यार ”
एक ऐसा शब्द,
जिनका पहला वर्ण ही
आधा- अधूरा हो !
वो ताउम्र साथ चलने के लिए
पूर्ण कैसे हो सकती है ?