कविता

गोदन टैटू

आधुनिकता के इस दौर में
इसका भी आधुनिकीकरण हो गया है,
गोदन तो फिर भी ठीक है
टैटू ने तो हमें नंगा कर दिया है।
वो समय और था
जब महिलाएं पतियों का नाम
हाथों में गुदवाती थीं,
क्योंकि तब उन्हें पति का
नाम न लेंने की ही
सीख दी जाती थी,
तब गोदन दिखा कर ही
वो पति का नाम बताती थीं।
तब आज की तरह का
समय भी नहीं था,
तब सुख आये दु:ख
उसी के साथ
जीवन गुजार लेती थीं।
आज तो सब कुछ
अनिश्चित हो गया है,
अब तो ऐसा भी होता
दिख जाता है,
एक,दो,तो छोड़िए
तीसरे चौथे के साथ भी
गुजारा नहीं हो पाता है,
क्योंकि बहुत बार अहम
आड़े आ जाता है।
ठीक वैसे ही टैटू का नशा छा रहा है
टैटू के नाम पर इंसान
शरीर काला करवा रहा है,
हद तो तब हो रहा है
कि इंसान खुद से
बड़ी बेहयाई से खुद ही
नंगा हो रहा है,
मार्डन कहलाने का लोभ
छोड़ नहीं पा रहा है।
● सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921