खट्टा-मीठा : चमत्कार को नमस्कार
आलू से सोना बनाने की चमत्कारी मशीन का आविष्कार करने वाले महान् वैज्ञानिक पप्पू जी ने इधर एक और चमत्कारी आविष्कार कर डाला है, जिसकी किसी को खबर नहीं है। वह है रातों-रात करोड़ों लोगों के हस्ताक्षर एकत्र कर डालना। उन्होंने इसकी एक विलक्षण तकनीकी का आविष्कार किया है, जिससे यह समय साध्य और उबाऊ काम बहुत सरल हो गया है।
मुझे याद आता है कि एक बार संघ परिवार ने अयोध्या के राम मन्दिर के समर्थन में एक करोड़ से अधिक हस्ताक्षर संग्रह किये थे। इसके लिए वे काग़ज़ लेकर घर-घर गये थे और बड़े परिश्रम से दो महीने में एक करोड़ हस्ताक्षर एकत्र कर पाये थे। फिर उन्होंने हस्ताक्षरों वाले उन काग़ज़ों के गट्ठरों को कई गाड़ियों में लादकर राष्ट्रपति भवन में पहुँचाया था।
लेकिन यही कार्य महान वैज्ञानिक पप्पू जी द्वारा आविष्कृत उन्नत तकनीक से केवल एक रात में सम्पन्न हो गया और किसी को कुछ पता भी नहीं चला। वे दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर करवाकर ले आए और उन्हें राष्ट्रपति महोदय को सौंप आए। समय और साधनों की ऐसी बचत आजतक किसी अन्य आविष्कार से नहीं हुई होगी, जैसी इस तकनीकी आविष्कार से हुई है।
इससे भी विलक्षण बात यह हुई कि संघियों ने हस्ताक्षर एकत्र करने में काग़ज़ के हज़ारों बंडलों को बर्बाद किया था, जबकि पप्पू जी ने दो करोड़ हस्ताक्षर केवल तीन-चार पन्नों में एकत्र कर लिये, जिनको वे जेब में रखकर ले गये और राष्ट्रपति जी को दे आये। अब यह पता नहीं चला कि उन्होंने राष्ट्रपति महोदय को साथ में कोई सूक्ष्मदर्शी भी दिया या नहीं, जिससे वे उन हस्ताक्षरों को देख सकते।
जो भी हो, इस महान आविष्कार ने न केवल समय और साधनों की बचत की, बल्कि काग़ज़ की भी बचत करके पर्यावरण का भी संरक्षण किया। इसके लिए पप्पू जी को नोबेल पुरस्कार देना तो बनता है। आपका क्या ख़्याल है?
— बीजू ब्रजवासी
मार्गशीर्ष शु 11, सं 2077 वि (25 दिसम्बर, 2020)