नववर्ष का स्वागत भला कैसे करें हम
करूण क्रंदन के तिमिर को कैसे हरे हम?
एक लम्बी अवधि से आक्रांत हैं सब
इस भयावह काल से कैसे उबरे हम ?
नौनिहालों, की सुरक्षा का हो कैसे निर्वहन
शैक्षणिक – संस्था में अकेला कैसे धरे हम ?
ये महामारी अजब सा रूप धरकर है आयी
सामना भी असमर्थ हो कैसे करें हम ?
लौकडाऊन का हो नित्य पालन, जरूरी
फूँककर नित् पग भला कैसे करें हम ?
काल, नियति के समक्ष हम हो गये बौने
भयभरे हृदय में फिर से ओज कैसे भरे हम?