अप्रासंगिक दिवस
राष्ट्रभाषा तो बना नहीं, अब सिर्फ ‘हिंदी दिवस’ का संरक्षण ! हर साल श्रावण पूर्णिमा को ‘राष्ट्रीय संस्कृत दिवस’ मनाया जाता है । भारत सरकार ने 1968 में ऐसा निर्णय लिया था और 1969 से यह दिवस निरंतर मनाई जा रही है ।
इसतरह से दिवस मनाए जाने के प्रसंगश: यह संस्कृत दिवस, 2020 की 51वीं वर्षगाँठ है। संसार की कई भाषाएँ संस्कृत से निःसृत है, एतदर्थ यह भाषाओं की जननी भी है । यह संसार के वैज्ञानिक भाषाओं में एक है । संसार के सभी भाषाओं में से सबसे लंबे शब्दों के ‘गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ अपनी प्राचीन भाषा ‘संस्कृत’ के नाम है।
खड़ी बोली हिंदी ‘संस्कृत’ की दुहिता है । हिंदी ‘संस्कृत’ की सरलीकृत रूप है, इसे अद्यत: खारिज नहीं की जा सकती ! यहाँ तक की संगम कालीन साहित्य व तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, लैटिन, हिब्रू इत्यादि के हजारों शब्द संस्कृत से प्रेरित हैं।
संस्कृत से निकली हिंदी के प्रचार-प्रसारार्थ हिंदी दिवस के रूप में प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को मनाई जाती है, क्योंकि भारतीय संविधान के निर्माण के समय संविधानवेत्ता ने 1949 में 14 सितम्बर को ही हिंदी संबंधी अनुच्छेद- 343 और अन्य प्रतिस्थापित कराए थे।