पसीने से बना नमक
पानी में नमक घोल
उसे पसीने बना लेता हूँ;
औ’ लिपस्टिक को गहराकर
खून बता देता हूँ !
जो पहले से ही काला है,
वो क्या करे मड़र जी ?
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जिनकी यादों में कभी
दिनरात जाया करते थे,
सामने आने पर वह मुझे
पहचानते तक नहीं !
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अब सिर्फ़
सपने में सोता हूँ;
और जागकर
उनमें खोता हूँ !
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वो सुंदर,
घमंडी रूप;
नहीं पर,
प्यारी-सी धूप !
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बहुत दिनों बाद
जब कोई दिखता है;
तो पहले वह
मुस्कराता है,
फिर ठट्ठाकर
हँसने लगता है !