अन्तस् की अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी
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गोष्ठी का शुभारंभ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन,व प्रिया गोस्वामी द्वारा संस्कृत में सरस्वती -वन्दना से हुआ।गोष्ठी का रोचक व मनमोहक अंदाज़ में संचालन सुश्री कामना मिश्रा और पूनम माटिया ने समवेत रूप से किया। अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में डॉ आदेश त्यागी की पंक्तियाँ –
तेज़ रम दौर में मिलने की किसे फ़ुरसत है,
और मिलते भी हैं तो दिल से कहाँ मिलते हैं।
प्रगीत कुँअर की पंक्तियाँ-
हमें फिर से बनाया जा रहा है, पुराने को मिटाया जा रहा है।
डॉ पूनम माटिया ने कहा-
माता पिता की बिटिया प्यारी
सजाती उनका घर-आँगन,
पर जब जाती दूजे घर
तब होता है नवजीवन।
को विशेष रूप से सरही गयीं।
चिड़ावा से डॉ.शम्भू पंवार ने मां पर “अनमोल है माँ का प्यार”अपनी बेहतरिन रचना प्रस्तुत की,वही देवबंद, उत्तरप्रदेश से माहताब आज़ाद ने भी सुंदर रचना पेश की।
इनके अतिरिक्त गोष्ठी में दुर्गेश अवस्थी, आनन्द ऋषिकेश, मञ्जू मित्तल, अंशु जैन, तरुणा पुण्डीर, प्राची कौशल, सुशीला श्रीवास्तव, निधि सिंह पाखी, डी० पी० सिंह, पूनम दुबे, पूजा मिश्रा यक्ष, कृष्ण बिहारी शर्मा आदि कवियों ने इस काव्य-उपवन में अपने विभिन्न एवं विशिष्ट काव्य-रंगों की छटा बिखेरी। छन्दों, गीत-ग़ज़लों से आच्छादित इस काव्य गोष्ठी में सार्थक पंक्तियों को बहुत दाद मिली।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ० आदेश त्यागी ने कहा जहाँ कोरोना जैसी महामारी में देश ही नहीं बल्कि विश्व ठहर गया, वहीं अंतस्* ने शहर, राज्य, देश की सभी सीमाएँ लाँघते हुए विश्व पटल पर जिस प्रकार अपनी छाप छोड़ी है, उन्होंने संदेश दिया कि किस प्रकार आपदा को अवसर में बदला जा सकता है। साथ ही अंतस् की उत्तरोत्तर प्रगति की शुभकामनायें भी दीं।
गोष्ठी में देश के सुदूर राज्यों व विदेश से कविगण व काव्य- रसिक श्रोतागण शामिल हुए। कामना मिश्रा ने नए सदस्यों का अभिनदंन किया। अंत मेअंतस् के महासचिव दुर्गेश अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
— डॉ शम्भू पंवार