कविता

मुँह कब से मियाँ हो गया जी

यह कहकर आप

‘अहं’ का परिचय दिया हैं !

आपने क्या किया है अबतक ?

जो उद्धरण बनाऊं !

फ़ख़्त, नील बटा सन्नाटा !

क्या-क्या लिखते हो जी !

प्रवचन तो आप झाड़ते हैं !

कभी आप, तो कभी तुम !

आपका दर्शन आपको सलामत !

बचकाना या बच  काना !

जैसा कि आपने

अभी-अभी सिखाए, जी !

आप समीज पहन लो !

मुँह कब से मियाँ हो गया जी,

जो सुगर पेशेंट हो गया !

जय हो, भय हो, क्षय हो….

आज दिन भी मंगल है जी

और हम दोनों कुतर्कों के

दंगल में हैं जी !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.