भूल गए
साल बीसवां ऐसा आया हम मुस्काना भूल गए
डर का साया ऐसा छाया बाहर जाना भूल गए
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अपनी मुट्ठी में दुनिया को एक वायरस कर बैठा
बन्द हुए व्यापार ढंग से लोग कमाना भूल गए
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लोग घरों में कैद हो गए, मास्क लगे सबके मुख पर
करे नमस्ते सभी दूर से, हाथ मिलाना भूल गए
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ऑफिस घर में, स्कूल घर में, बच्चे बूढ़े सब घर में
मित्रों के संग हॉटल जाकर पिज्जा खाना भूल गए
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आँखों से ओझल कोरोना घात लगाए बैठा था
वही फँसे जो सेनेटाइजर,मास्क लगाना भूल गए
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माना साल बुरा था लेकिन सबक सिखाकर गया कई
बिना बात सब घर से बाहर समय बिताना भूल गए
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लेकिन उम्मीदों का दामन हमनें छोड़ा नहीं कभी
स्वयं दीप से जले,तमस का शोक मनाना भूल गए
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कम खर्चे में ब्याह शादी और कम खर्चे में शोक सभा
व्यर्थ दिखावे में पैसे सब लोग उड़ाना भूल गए
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अब आया है नया साल, लेकर उम्मीदें नई नई
नए साल के नए तराने,दर्द पुराना भूल गए
रमा प्रवीर वर्मा
नागपुर, महाराष्ट्र