कविता

नववर्ष की शुभकामनाएं

जब हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है
फिर क्यों नववर्ष के कैलेंडर को परेशान हैं

माना कि ये सब अंग्रेजों की देन है
फिर शादी के कार्ड पर क्यों तारीख की दरकार है।

चलो आज से कैलेंडर लाना बंद करो
क्योंकि ये हमारी संस्कृति का अपमान है ।

हम कब कहते हैं कि मदिरा का पान करो
माँस मदिरा तो राक्षसों की पहचान है

अच्छाइयों को स्वीकार कर आगे बढ़ते जाएं
वक़्त की आज यही सच्ची पहचान है

संसार में गर रहना है तो मिलकर रहना होगा
विश्व में सनातन संस्कार ही भारत की पहचान है ।

माना कि हिंदी हमारी मातृभाषा है
लेकिन अंग्रेजी सारे विश्व की भाषा है

वक़्त के साथ चलने में कोई बुराई नहीं
क्योंकि सीखने में हीं हम सबका गौरव है

माना कि हम भारतीय हैं हिंदी हमारी भाषा है
पंचांग जरूरी है हमारी धड़कन की तरह

अंग्रेजी कैलेंडर की सत्ता को भुलाना भी नामुमकिन है
क्या 15 अगस्त और 26 जनवरी को भूल पाओगे ।

सीखने जरूरी हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता
लेकिन अच्छाइयां विश्व की अपनानी भी जरूरी हैं

आओ जाति भेदभाव ऊँच नीच को भुलाते हैं
एक बार फिर से भारत की कीर्ति पताका फहराते हैं ।
जय हिंद जय भारत
— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017