नववर्ष की शुभकामनाएं
जब हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है
फिर क्यों नववर्ष के कैलेंडर को परेशान हैं
माना कि ये सब अंग्रेजों की देन है
फिर शादी के कार्ड पर क्यों तारीख की दरकार है।
चलो आज से कैलेंडर लाना बंद करो
क्योंकि ये हमारी संस्कृति का अपमान है ।
हम कब कहते हैं कि मदिरा का पान करो
माँस मदिरा तो राक्षसों की पहचान है
अच्छाइयों को स्वीकार कर आगे बढ़ते जाएं
वक़्त की आज यही सच्ची पहचान है
संसार में गर रहना है तो मिलकर रहना होगा
विश्व में सनातन संस्कार ही भारत की पहचान है ।
माना कि हिंदी हमारी मातृभाषा है
लेकिन अंग्रेजी सारे विश्व की भाषा है
वक़्त के साथ चलने में कोई बुराई नहीं
क्योंकि सीखने में हीं हम सबका गौरव है
माना कि हम भारतीय हैं हिंदी हमारी भाषा है
पंचांग जरूरी है हमारी धड़कन की तरह
अंग्रेजी कैलेंडर की सत्ता को भुलाना भी नामुमकिन है
क्या 15 अगस्त और 26 जनवरी को भूल पाओगे ।
सीखने जरूरी हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता
लेकिन अच्छाइयां विश्व की अपनानी भी जरूरी हैं
आओ जाति भेदभाव ऊँच नीच को भुलाते हैं
एक बार फिर से भारत की कीर्ति पताका फहराते हैं ।
जय हिंद जय भारत
— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़