ऐसा हो अपना हिंदुस्तान
मन में भरा एक सुंदर सपना सा लेकर अरमान
देश में हो खुशहाली एकता ऐसा हो अपना हिंदुस्तान.
जात-पात धर्म लिंग भेद भुलाकर इंसान को माने
एक दुसरे के सुख दुःख को सब अपना सा ही जाने.
गरीब अमीर में बैमनस्य लेकर कुरेद भी न मन जान
देश में हो खुशहाली एकता ऐसा हो अपना हिंदुस्तान.
मन में सब भाषाओ का समुचित पाया सम्मान हो
हिंदी को राष्ट्रीय भाषा दर्जा में पाया स्वाभिमान हो.
जीवन में अधिक से अधिक ज्ञान पाने में लगे कमान .
देश में हो खुशहाली एकता ऐसा हो अपना हिंदुस्तान.
देश प्रेम का ध्येय हमारा भावी पीढ़ी को देना संदेश
संस्कार और उच्चविचारों नैतिकता का बना हुआ भेष
हमको मिलकर अपना पग हर दिशा में लेकर निशान.
देश में हो खुशहाली एकता ऐसा हो अपना हिंदुस्तान.
— रेखा मोहन