जनवरी 2018 में दो-दो पूर्णिमा
जनवरी 2018 में दो – दो बार पूर्णिमा…. ऐसा कभी – कभी जुलाई अथवा अगस्त माह में भी होता है, किन्तु जनवरी में तो बहुत वर्षों के बाद ऐसा शुभ अवसर आया है।
2 जनवरी को पहली पूर्णिमा रही, तो दूसरी पूर्णिमा 31 जनवरी को । पहली पौष (पूसी) पूर्णिमा, तो दूसरी माघी पूर्णिमा । हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए दोनों महत्वपूर्ण । दोनों पूर्णिमा में गंगा – स्नान । यह महान नदी ‘मातारूप’ में है, जो भारतवर्ष में हम भारतवासियों के लिए अपने को इसतरह बहा रही है, जैसे- माँ की छाती (स्तन) से दूध निकल रही है और हमसब दुग्धपान कर रहे हैं । माँ गंगा देवी को नमन । हमें माँ गंगा को स्वच्छ रखने चाहिए, ताकि हम स्फूर्ति से सदैव लेश रह पाए !
महान उपन्यास – कथासम्राट प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘पूस की रात’ -सी ज़िन्दगी आजकल हमारे साथ है । असहनीय ठंड इतनी कि यह ‘पूस का दिन’ लिए भी आत्मसात हो गए हैं । हम जैसे कम्बल और चौकी पर रात – दिन काटनेवाले की स्थितियाँ ‘पूस’ में खराब हो जाते हैं । कईबार तो पुआल बिछावन और जूट के बोरे ओढ़ना रहा है, इसे भोटिया – चट्टी ओढ़ना भी कहा जाता है।
आजकल वार्ड मेंबरी जीतने भर से ही लोग अपने को नेता कहलाने को उत्सुक होते हैं । जबकि भारत में एक ही नेता अबतक हुआ है, वह है ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’। अगर ऐसे उत्सुकताधारकों को नेता कहलाने का इतना ही शौक है, तो इस पूस में हर मोड़ पर अलाव (घुर) की व्यवस्था तो करवाये । शासन और प्रशासन के कुछ गणमान्य हितकारियों द्वारा कुछ चिह्नितों को कम्बल बाँटकर वे प्रायः निश्चिंत हो जाते हैं। पूस की सुधि किसी को नहीं ! एक जबड़ा भी क्या करे पाएंगे, फ़ख़्त कूं – कूं करते अपनी जान गँवा बैठेंगे ? आइये, हम हल्कू ही कुछ करें !