कविता

यादें

बढ़ चली है यादें
फिर उन्हीं पुरानी रास्तों पे
जिस सफर पे
तेरा ख्याल मेरी मंजिल थी

बदल चुका है वक्त का मौसम
नहीं कुछ भी पहले जैसा
बस एक एहसास तुम्हारा
चल रहा अकेला

शोर बहुत है राहों में
पर कोई आवाज नहीं
मेरे कानों में
नजर में तेरी घनी यादें
और तन्हाई बाहों में….

*बबली सिन्हा

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