अहसास
जमी सी तेरी यादें
सर्द अहसासों को लिये
घने कोहरे से ढकी
कुछ अनकही ख्वाहिशों के साये में
धूंध के धुंधलके में
नजर आता है
अक्सर एक साया
मैं पीछे दौड़ती हूँ
यादों के झुरमट के
पत्तों की सरसराहट
महसूस होती है
ये ठण्ड और तुम
गवाह हो मेरे होने के ।
यादें भले ही जमी सी है
सर्द हवाओं के जोर से
मन का कोना
अब भी गर्म है
तेरे और मेरे अहसासों से।