कविता

अहसास

जमी सी तेरी यादें
सर्द अहसासों को लिये
घने कोहरे से ढकी
कुछ अनकही ख्वाहिशों के साये में
धूंध के धुंधलके में
नजर आता है
अक्सर एक साया
मैं पीछे दौड़ती हूँ
यादों के झुरमट के
पत्तों की सरसराहट
महसूस होती है
ये ठण्ड और तुम
गवाह हो मेरे होने के ।
यादें भले ही जमी सी है
सर्द हवाओं के जोर से
मन का कोना
अब भी गर्म है
तेरे और मेरे अहसासों से।

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान