कविता
दुखो के बीच जीने की चाह
पैदा कर रहा हूं
मैं खुद को ऐसा बना रहा हूं
कि मुझे जिंदगी
जीने में कोई
तकलीफ़ न हो
और वो भी दुःखी न हो
जिनका मुझसे
कोई रिश्ता हो
क्योंकि अपनों
को दुःख देना
बुरी बात है
और ऐसी बातों
को होने
से रोया जाएं
तो अच्छा हो