कुत्ते की वफादारी
हमीर ने जैसे ही घण्टी बजाई, कुत्ता भोकने लगा । रघुवीर ने कहा – “आ जाओ, डरो मत, ये काटेगा नही ।”
बैठते हुए हमीर ने पूछा – “आपको कुत्ता पालने का शौक कब से हो गया ?”
रघुवीर -“एक दिन पड़ौसी परिवार के साथ हम पिकनिक मनाने गए हुए थे । अचानक पड़ौसी की बेटी टहलते हुए गायब हो गई । थोड़ी देर में जिधर से उसके चिल्लाने और फिर कुत्ते के भौकने की आवाज आई उधर गए तो देखा एक युवक कराह रहा था जिसे कुत्ते ने दो तीन जगह से काट लिया था ।
मैन पूछा “बेटी, कहीं तुझे तो कुत्ते ने नही काटा ?” वह बोली – “चाचा जी, कुत्ते ने तो वफादारी दिखाई । कुत्ता काट लेता तो इलाज हो जाता, पर इस दरिन्द्रे के काटे का न तो इलाज ही हो पाता और न ही जीने की आस शेष रहती या फिर सिर्फ दरिन्द्रों को सबक सिखाना ही जीवन का एक मात्र ध्येय रह जाता ।”
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला