ग़ज़ल
खुली आँख से ख़्वाब देखा करेंगे।
उन्हें हर तरह मिल के पूरा करेंगे।
सही बात कहना तो जारी रहेगा,
न बेजा मगर कोई शिकवा करेंगे।
सजाते रहेंगे सजाते रहे हैं,
चमनमें सुमनबन केमहका करेंगे।
वतन के लिए जान देंगे यक़ीनन,
वतनको कहींभी न रुसवा करेंगे।
अदूचढ़केआयाजोअबसरहदोंपर,
उसे बीच से चीर टुकड़ा करेंगे।
— हमीद कानपुरी