याद आएंगे हमेशा, प्रथम प्यार की चितवन की तरह
हिंदी में नई कहानियों के सर्ज़क -त्रय में श्री मोहन राकेश, श्री कमलेश्वर और श्री राजेन्द्र यादव जाने जाते हैं, अब तीनों में कोई जीवित नहीं हैं । हाँ, 47 वर्ष भी पूर्ण नहीं कर सके श्री राकेश की पुण्यतिथि 3 जनवरी को रही, वैसे उनके जन्मदिवस 8 जनवरी को है । गीतकार श्री गोपालदास नीरज का जन्मदिवस बीते 3 जनवरी को था, इस गीतकार ने 19 जुलाई 2018 को पार्थिव देह त्यागे; जबकि संगीतकार श्री जयदेव की पुण्यतिथि 4 जनवरी थी । जयदेव साहब ने एक से एक विरले धुनें तैयार किये थे, ‘हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाता चला गया’ में उनकी ही धुनें हैं । वे अविवाहित थे।
इधर अपनी ज़िन्दगी के शतक की ओर बढ़ चले श्री नीरज के साथ मंच -पाठ करने का अवसर मुझे मिला है, उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री और पद्म भूषण भी मिला है, उन्हीं की कविता व गीत के बोल को मैंने आज का शीर्षक बनाया है– ‘याद आएंगे हमेशा, प्रथम प्यार की चितवन की तरह’ । नीरज साहब शतायुजीवी हों, यही सापेक्ष कामना है।
BBC के वरीय संवाददाता श्री रेहान फ़ज़ल ने नाटककार मोहन राकेश के बारे में उनकी 75 वर्षीया तीसरी पत्नी श्रीमती अनीता राकेश के हवाले सुनाया…..
”…… मोहन राकेश अपना इस्तीफा हमेशा अपनी जेब में लेकर चलते थे । ‘सारिका’ पत्रिका में राकेश मात्र 11 महीने कार्य किया, इसपर जब श्री शांति प्रसाद जैन ने उनसे पूछा कि तुम ‘सारिका’ की नौकरी क्यों छोड़ दिए ? …… तो उनका जवाब था, मैं एक एयर कंडीशनर खरीदना चाहता था और इसे खरीदने लायक मैंने कमा लिया, इसलिए ‘सारिका’ की नौकरी छोड़ दिया ।…’
श्रीमती अनीता राकेश ने आगे कहा– ‘जब राकेश के साथ रहे 6 साल हो गए, तब उनसे एक दिन उन्होंने कहा– अब तू मेरा घर छोड़कर जाएगी या नहीं ! दो साल से ज्यादा मैं किसी औरत के साथ नहीं रहा । पहले मैंने सोचा था, तुम दो -तीन साल बाद चली जाओगी, किन्तु अब तो 6-7 साल हो गए और अब तुम्हारे जाने के कोई आसार नहीं नज़र आ रहे हैं यानी तूने मेरा रिकॉर्ड खराब कर दी । ऐसे थे राकेश । मैं तो उनके ज़िन्दगी से निकली नहीं, किन्तु वह ही मात्र 46-47 की आयु में ही मुझे और रचना -संसार को छोड़ इस दुनिया से कूच कर गए ।’
रचनाकार सचमुच में जिंदादिल और Extraordinary होते हैं…….