कविता

वक्त

आज तुम्हारा है,
कल मेरा भी आयेगा!
“वक्त” ही तो है बदल जाएगा
आज तुम सवाल और हम जवाब बने बैठे हैं
कल ये किरदार बदल जाएगा
वक्त ही तो है सवर जाएगा
जो निग़ाह बचा के निकल जाते हैं आज
वो कल नज़रे झुका के निकलेंगे
मुफलिसी का ये दौर भी गुजर जाएगा
वक्त ही तो है पलट जाएगा
बहुत कुछ सिखाया है गुजरते वक्त ने
सीख के बीते दिनों से अपने
देखना मेरा किरदार कितना निखर जाएगा
जमाने के इल्ज़ाम की तू परवाह मत कर ए दिल
वक्त बदलते ही ज़माना अपने इल्ज़ाम से मुकर जाएगा।
— प्रज्ञा पांडे

प्रज्ञा पांडे

वापी़, गुजरात