सौंदर्य के दोहे
रूप दमकता नित्य ही,फैलाता आलोक।
प्रिये आज तू चाँद है,देखे सारा लोक।।
गालों पर आभा खिली,लुभा रहा है नूर।
दाता ने तुझको दिया,सच यौवन भरपूर।।
चंचल चितवन से चलें,जाने कितने तीर।
दिल थामे सब घूमते,कौन बताए पीर।।
बतला दे ऐ रूपसी,तू किसका वरदान।
तेरा मोहक रूप ये,है किसका अरमान।।
प्रिये आज तू चाँद है,देखे सारा लोक।।
गालों पर आभा खिली,लुभा रहा है नूर।
दाता ने तुझको दिया,सच यौवन भरपूर।।
चंचल चितवन से चले,जाने कितने तीर।
दिल थामे सब घूमते,कौन बताए पीर।।
बतला दे ऐ रूपसी,तू किसका वरदान।
तेरा मोहक रूप ये,है किसका अरमान।।
चंदा भी शरमा गया,लखकर तेरा रूप।
तेरा मुखड़ा दे रहा,मनभावन मृदु धूप।।
कामदेव भी पस्त है,तू सचमुच बलवान।
तेरा यौवन वार कर,ले लेता है जान।।
नयन हुए मादक बहुत,मय का हैं सामान।
अब तो होना तय हुआ,बहुतों का बलिदान।।
बासंती बेला रची,निखर उठा मधुमास।
तेरे दीवाने हुए,सभीआम या ख़ास।।