कविता

भूख

मुझे बेशक गुनहगार लिखना
साथ लिखना मेरे गुनाह,
हक की रोटी छीनना ।
मैंने मांगा था,
किंतु,
मिला तो बस,
अपमान,
संदेश,
उपदेश,
उपहास,
और बहुत कुछ ।
जिद भूख की थी,
वह मरती मेरे मरने के बाद ।

इन,
अपमानो,
संदेशों,
उपदेशो,
उपहासो,
से पेट न भरा,
गुनाह न करता
तो मर जाता मैं,
मेरे भूख से पहले ।
मुझे बेशक गुनहगार लिखना
लिखना,
मैं गुनहगार था,
या बना दिया गया ।

हो सके तो,
लिखना,
उस कलम की,
मक्कारी,
असंवेदना,
चाटुकारिता,
जिसकी
नजर पड़ी थी,
मुझ पर मेरे गुनाहगार
बनने से पहले
लेकिन,
उसने लिखा मुझे,
गुनहगार बनने के बाद ।

— सूरज सिंह राजपूत

सूरज सिंह राजपूत

पिता का नाम : श्री बृजमोहन सिंह माता का नाम : श्रीमती मंजू देवी जन्म तिथि : 1 जनवरी 1994 जन्म स्थान : बलिया, उत्तर प्रदेश मोबाइल नं. : 6201034573 ईमेल आईडी : [email protected] साहित्यिक विधा : गीत, ग़ज़ल, कहानी भाषा : हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी, ओडिया शिक्षा : B.Tech ( Computer science and engineering ) रोजगार : Software Engineer संपादक : राष्ट्र चेतना पत्रिका मीडिया प्रभारी : अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, जमशेदपुर