विशेष सदाबहार कैलेंडर- 169
हार्दिक आभार सहित रविंदर भाई की कलम से-
1.प्रेम की धारा बहती है जिस दिल में,
चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में.
2.बहुत कुछ सिखाया ज़िंदगी के सफर ने अनजाने में,
वो किताबों में दर्ज था ही नहीं,
जो पढ़ाया सबक जमाने ने.
3.हर एक लिखी हुई बात को हर एक पढ़ने वाला नहीं समझ सकता
“क्योंकि” लिखने वाला “भावनाएं” लिखता है
और लोग केवल “शब्द” पढ़ते हैं/
4.शिकायतें तो तुझसे बहुत हैं, ऐ ज़िंदगी,
चुप इसलिये हूँ कि जो तूने दिया, वो भी बहुतों को नसीब नहीं.
5.अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाता हूँ कभी,
पता नहीं चुप रहना समझदारी है या मजबूरी.
6.इतना मत बोलो कि लोग आपके चुप होने का इंतज़ार करें,
इतना बोलकर चुप हो जाओ,
लि लोग आपके दोबारा बोलने का इंतज़ार करें.
7.उसने कहा बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे?
मैंने कहा चुप हो गये तो तुम तरस जाओगे.
8.चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर ना समझ हमें,
दिल पे असर हुआ है तेरी हर बात का.
9.अपनी जुबां से मैं दूसरों के ऐब बयां नहीं करता,
क्योंकि ऐब मुझमें भी हैं और ज़ुबां औरों की भी है.
10.मुद्दतें हो गई हैं चुप रहते-रहते,
कोई होता सुनने वाला तो हम भी कुछ कहते.
11.मेरी खामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी है,
तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है.
12.इक हुनर है चुप रहने का,
इक ऐब है कह देने का.
13.आप खामोशी समझ नहीं रहे,
अल्फ़ाज़ अब बचे नहीं.
14.तुझपर अब अल्फ़ाज़ नहीं वारेंगे,
तुझे अब खामोशी से मारेंगे.
15.वो जो समझे थे, तमाशा होगा,
मैंने चुप रह के बाजी पलट दी.
16.खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैं,
हंसती आँखों में भी ज़ख्म गहरे होते हैं,
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते हैं.
17.कदम-कदम पे नया इम्तिहान रखती है,
ज़िन्दगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है.
18.ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं.
19.आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं, कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं.
20.फुर्सत ही मंहगी है, वर्ना सुकून तो इतना सस्ता है,
कि चाय की प्याली में मिल जाता है.
21.किताबों में जो पढ़ा सब भूल जाते हैं,
सबक वही याद रहता है, जो वक्त और लोग सिखाते हैं.
22.हौसला हो तो ज़िंदगी परेशान नहीं होती,
अकड़ ज़िन्दा इंसान की पहचान नही होती.
23.दुख-सुख की धूप-छाँव से आगे निकल गये,
हम ख्वाइशों के गाँव से आगे निकल गये,
तूफ़ान समझता था के हम डूब जाएंगे,
आंधी में हम हवाओं से आगे निकल गये.
24.रिश्ता वो नहीं जिसमें जीत और हार हो,
रिश्ता वो नहीं जिसमें इजहार और इंकार हो,
रिश्ता तो वो है जिसमें किसी कीउम्मीद न हो,
लेकिन फिर भी उसका इंतज़ार हो.
25.जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है.
26.ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होतीं.
27.”चंदन” से “वंदन” ज्यादा शीतल होता है,
“योगी” होने के बजाय “उपयोगी” होना ज्यादा अच्छा है,
“प्रभाव ” अच्छा होने के बजाय “स्वभाव” अच्छा होना ज्यादा जरूरी है.
28.जिंदगी में ऐसे लोग भी मिलते हैं,
जो वादे तो नहीं करते लेकिन निभा बहुत कुछ जाते हैं.
29.एक अच्छे इंसान बनो पर,
उसे प्रमाणित करने में,
समय व्यर्थ मत गंवाओ.
30.संघर्ष जितना बड़ा होगा,
जीत उतनी ही आसान होगी.
31.आंखों में खुशी, लबों पर हंसी,
गम का कहीं नाम न हो,
हर सुबह लाये आपके लिए इतनी खुशियां,
जिसकी कभी शाम न हो.
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हर किसी को खुश रख सकूं,
वो तरीका मुझे नहीं आता,
जो नहीं हूं वैसा दिखने का,
सलीका मुझे नहीं आता,
दिल में कुछ और ज़ुबां में कुछ और,
ये बाज़ीगरी का कमाल मुझे नहीं आता,
ऐ प्रभु बस इतनी शौहरत बक्शना तू मेरे नाम को,
कि जिसके लबों पे आए,
मुस्कुराहट के साथ आए.