व्यथा आम इंसान की
बड़े-बड़े महापुरुषों ने कहा है कि जब सपना देखना है तो बड़ी सपने देखो छोटे से सपने का ख्याल भी मत करो! फिलहाल एक सपने का वर्णन कर रहा हूं, पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद एक छोटी सी कंपनी में जॉब कर लिया, छोटी-छोटी खुशियों को बटोर कर जिंदगी का आनंद भी लिया जा सकता है! रोज हंसी खुशी से ड्यूटी पर पहुंच जाते हैं! पहली तनख्वाह मिलने पर एक साइकिल ले लिया जब साइकिल से चलता तो आंखों में एक अजीब सी चमक रहती है और मन में सकारात्मक ऊर्जा बना रहता.. दो रोटी खाकर जीवन बीमा का योजना ले लिया, एक आम आदमी के जीवन में और क्या चाहिए थोड़ा बचत हो!
फिर एक दिन एक मार्केटिंग कंपनी वाले बंदे से मुलाकात हुआ, वह पान के तफरी पर खड़ा होकर पान चबा रहा था! उसके लच्छेदार जोशीले क्रांतिकारी भाषण में शहद टपक रही थी, कई लोग उसकी बातें सुन रहे थे मुझे भी अच्छा लगा मैं उसे सुनता गया और प्रभावित होकर उसकी बातों में आ गया! मुझे करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
वह मुझे 50 पैसे से लेकर सीधा करोड़ों में पहुंचा दिया देख रहा हूं कि अब मेरे खाते में करोड़ रुपये, महंगी ब्रांड की कार मेरे दरवाजे पर खड़ी है और नौकर चाकर सेवा में खड़े हाथ जोड़कर, जीवन में पैसा हो फिर किस बात की फिक्र, फिर बंदे के बेरोजगारी से लेकर भ्रष्टाचारी तक और देशद्रोही से लेकर राष्ट्रवादी तक बात सुनकर मन में एक जुनून सा उत्पन्न हुआ और साइकिल बेचकर उसके चैन सर्किल काम में पैसा लगा दिया!
मार्केटिंग के काम में ध्यान लगा दिया अपना सब कुछ छोड़कर बस सोते जागते वही एक नाम की माला जपने लगे.. मार्केटिंग विभाग में झुठ बोलने की कला रहनी चाहिए, फिलहाल मुझे झूठ बोलने नहीं आता सो चैन सिस्टम में लगा पैसा डूब गया!
एक दिन फैक्टरी में सुपरवाइजर साहब मेरे सामने आकर बोले “अब तुम काम के प्रति घोर लापरवाही कर रहे हो इसलिए कंपनी तुम्हें निकाल रही हैl सपने से बाहर आकर देखा खुद के समय का नुकसान भी किया, ढेर सारा पैसा भी डूब गया, नौकरी भी गई और साइकिल भी गईl
जागते हुए सारे सपनों के गुब्बारों में सुपरवाइजर साहब ने कील घुसाकर सारे सपनों को चकनाचूर कर दिया!
उसी वक्त कसम खा लिया कि बिना देखे बिना सुने कहीं भी पैसा ना लगाये, जीवन में आगे बढ़ना हो मेहनत करो शॉर्टकट रास्ता ना अपनायें!
— अभिषेक राज शर्मा