पाठक की कलम से- 4
न टपका कोई गगन से
रात अंधेरी थी भयानक
गुज़ारिश में थे सुबह की,
बैठ गया था दिल चाहिए थी
लौ नई आशा उमंग की।।
फटी सिंदुरा निकला सूरज
भगवा जीवन किरणों के साथ,
भय की सरिता को सुखाया
देख हमने जोड़े हाथ।।
आशा की किरणों ने प्रकाश
डाला नई उम्मीदों पे,
जान आयी बेजान पिंड में
उठ खड़े हुए अपने पैरों पे।।
कितने अरमान देखे थे
थे कितने सपने बुने,
पूरे करना आसान नहीं
ऐसे मन ने बोला अपने।।
हजारों मीलों की यात्रा
शुरू होती है एक कदम से,
सब छोटे से बड़े होते हैं
न टपका कोई गगन से॥
-अंशुमान गौड़
अंशुमान गौड़ का संक्षिप्त परिचय-
नाम- अंशुमान गौड़
पिता – सुनील कुमार गौड़
माता – अनीता कुमारी गौड़
पता –
जिला – गंजाम
राज्य – ओडिशा
गांव – ओडिया कवि सम्राट उपेन्द्र भंज की जन्मभूमि के नजदीक गैलरी गांव के निवासी
योग्यता- १२ के बाद DElEd ट्रेनिंग कोर्स में ट्रेनी
मैं हाई स्कूल, इंटर और फिलहाल +३ में भी हिंदी के साथ पढ़ाई कर रहा हूं. मेरी मातृभाषा ओड़िया है मगर बचपन से ही हिंदी के साथ मेरा अहैतुक लगाव रहा है.
आदरणीय दीदी, सादर नमन. कहावत है होनहार बिरवान के होत चीकने पात(जहाँ तक याद है ऐसा ही कुछ) पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं. ऐसे ही अंशुमान गौड़ की पंक्तियां ‘हजारों मीलों की यात्रा शुरू होती है एक कदम से, सब छोटे से बड़े होते हैं न टपका कोई गगन से॥’ से यही दिख रहा है. आपकेप्रोत्साहन, आशीर्वाद से यह कली जल्दी ही फूल बनकर महकेगी इस कामना के साथ
प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि हमेशा की तरह यह रचना, आपको बहुत अच्छी व प्रेरक लगी. हमें भी आपकी ‘ आपके प्रोत्साहन, आशीर्वाद से यह कली जल्दी ही फूल बनकर महकेगी इस कामना के साथ. ‘ के प्रेरक संदेश से सुसज्जित प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया लाजवाब लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
अंशुमान भाई, आपकी कविता ने क्या खूबसूरत संदेश दिया है!
”हजारों मीलों की यात्रा
शुरू होती है एक कदम से,
सब छोटे से बड़े होते हैं
न टपका कोई गगन से॥”