दिलखुश जुगलबंदी- 36
अतुलित सुख और आनंद हैं वहां
खुशियों का आज लगा है मेला,
समय है बड़ा अलबेला,
फलो-फूलो,कामयाबी सदा मिले,
आनंद से बीते हर पल सुहेला.
दुआओं का सिलसिला बस आज ही क्यों,
खुशियाँ सबको ताउम्र मिलती रहें,
हर रोज दुआएं देना आपकी इनायत है,
यही तो सबसे खूबसूरत इबादत है!
रोम रोम आपके दीवाने हुए,
हमारे भी कुछ ठिकाने हुए,
यूं तो दो-शब्द भी लिख ना पाते थे हम,
लेकिन आपको लिखते देखकर
हमारे भी अंदाज कुछ शायराने हुए.
आपके शायराने अंदाज के सदके,
उठाए जो ज़हमत करके उस नाज़ के सदके.
ज़रूरी तो नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो,
ज़रूरी तो नहीं कि इंसान अच्छा और खूबसूरत हो
पर सब से सुन्दर वो इंसान हैं,
जो आपके साथ हो जब आपको उसकी ज़रूरत हो.
सब से सुन्दर वो इंसान हैं,
जो आपके साथ हो जब आपको उसकी ज़रूरत हो,
यही तो खूबसूरती है इंसां होने की,
सीरत में ही सब राज छिपे होते हैं, भले ही कैसी भी सूरत हो.
होती नहीं मोहब्बत सूरत से, मोहब्बत तो दिल से होती हैं.
सूरत उनकी खुद ही प्यारी लगती है,
कदर जिनकी दिल में होती हैं.
कदर होना ही बड़ी बात है,
यही तो जिंदगी की असली सौग़ात है!
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से न पढ़ा करो,
कुछ याद रह गया तो मुझे भूल नहीं पाओगे.
“शब्दों” की इसी अदा पर तो हम फिदा हैं,
ध्यान से न पढ़ो तब भी लगते पैग़ामे-खुदा हैं.
मैं तो बस एक मामूली सा सवाल हूँ
और लोग कहते हैं, तेरा कोई जवाब नहीं.
मामूली सवाल होना ही असली खासियत है,
लाजवाब होने की तो कोई पैमाइश ही नहीं.
अगर लोग यूँ ही कमियां निकालते रहे तो,
एक दिन सिर्फ खूबियाँ ही रह जायेगी मुझमें.
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय.
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदल के देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकल के देख.
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय.
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये,
चलो ऐसे कि निशान बन जाये,
ज़िंदगी तो हर कोई काट लेता है दोस्तो,
जियो इस कदर कि मिसाल बन जाये.
यह मिसाल ही बेमिसाल हो जाती है,
काम कोई लाजवाब कर जाती है.
अगर तुम्हें यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास,
अगर तुम्हें यकीन है तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं.
यकीन को ही यकीन अगर हो जाए,
सिरे से सारी दुनिया जन्नत हो जाए.
वो आँखों ही आँखों में करते हैं ऐसी बातें,
कि कानों-कान किसी को खबर नहीं होती.
ये कान ही तो हैं, जो किसी पर कान ही नहीं देते,
आँखों की छोड़ो खुद पर ही ध्यान नहीं देते.
किसी ने मुझसे पूछा ज़िन्दगी कैसे बर्बाद हुई,
मैंने उंगली उठायी और…..
उंगली उठायी और …मोबाइल पर रख दी.
इसी मोबाइल ने तो सबको बर्बाद कर रखा है,
जब से आया सबने झूठ का मजा चखा है.
ये उंगली भी न जाने क्या-क्या गुल खिलाती है!
किसी पर एक उंगली उठाने से तीन उंगलियां खुद की ओर होती हैं,
यह भी भूल जाती है.
खुल कर तारीफ़ भी किया करो,
थोड़ा-सा हँस भी दिया करो,
क्यों बाँध के ख़ुद को रखते हो,
पंछी की तरह उन्मुक्त भी जिया करो.
हंसने की बात बहुत खूब चलाई है,
क्या खूबसूरत रीत सिखाई है!
सिर्फ लफ्ज़ नहीं ये दिलों की कहानी है,
हमारी शायरी ही हमारे प्यार की निशानी है.
लफ्ज़ ही तो शायरी को अंजाम देते हैं,
संवेदनाओं से मिलकर ही तो शायरी का नाम लेते हैं.
जिंदगी भर हमने ना कभी, लिखी थी डायरी,
और आज आलम यह है कि बात-बात पर शायरी.
डायरी और शायरी का क्या मुकाबला!
एक में यथार्थ-ही-यथार्थ होता है,
दूसरे में मन के जीवंत भाव होते हैं.
सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया गुरुः,
शान्तिर्मित्रं क्षमा भ्रात्री षडेते मम बान्धवाः.
सत्य-ज्ञान-धर्म-दया-शांति-शांति-क्षमा हों जहां,
हर तरह से सुरक्षित है वह परिवार-देश-समाज,
अतुलित सुख और आनंद हैं वहां.
(यह दिलखुश जुगलबंदी ‘ब्लॉग ‘दिलखुश जुगलबंदी- 35’ में, रविंदर सूदन, सुदर्शन खन्ना, चंचल जैन और लीला तिवानी की काव्यमय चैट पर आधारित है)
चलते-चलते
आज हमारे सुपुत्र राजेंद्र तिवानी के जन्मदिन की सालगिरह है. राजेंद्र को जन्मदिन की सालगिरह की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं. राजेंद्र-
आपके जन्मदिन पर हमारी तरफ से एक भावगीत-
फूलों-कलियों ने महफिल सजाई, जन्मदिन तेरा है
यह भी संयोग की बात है, कि दिलखुश जुगलबंदी- 35 राजेंद्र तिवानी के विवाह की सालगिरह वाले दिन आई थी और दिलखुश जुगलबंदी- 36 राजेंद्र तिवानी के जन्मदिन की सालगिरह वाले दिन प्रकाशित हो रही है. राजेंद्र तिवानी, एक बार फिर जन्मदिन मुबारक हो-
”सूरज-चंदा खुद आकर आपकी आरती उतारें,
सुख-समृद्धि-स्वास्थ्य का उपहार मिले आपको सबसे,
खुशियां पाने के लिए समस्त खुशियां प्रेम से आपकी ओर निहारें”.
;लीला तिवानी