दूर हर मुश्किल भगाना चाहती है
ज़िन्दगी फिर मुस्कुराना चाहती है
दोस्ती होती सदा सच्ची वही जो
जान यारों पर लुटाना चाहती है
कौन परिश्रम को पराजित कर सका है
हर बला दामन छुड़ाना चाहती है
आसमानों से न पूछे दूरियां वो
हौंसलों के पर लगाना चाहती है
प्रीत मेरी है रुहानी ‘रागिनी’ सी
गीत कोई गुनगुनाना चाहती है
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)