विश्व हास्य दिवस और अन्यार्थ
आज ‘विश्व हास्य दिवस’ भी है,
खूब हँसो….
जिससे पति को शक निश्चित हो जाय
यानी चुभती चवनियां मुस्कान ढाते हुए !
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हम अच्छे परसुधारक हो सकते हैं,
परंतु स्वयंसुधारक नहीं !
तभी तो उपदेश बाँटना सहज है,
किन्तु खुद अमल करना मुश्किल ?
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मेरे प्रेम-संबंधों का का हर वर्ष
हो रहे
“छपाक” !
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आरटीआई और रिकार्ड्स से सम्बन्धित
रोज 100 से अधिक ‘ई-मेल’ आते हैं,
सबके जवाब भी देता हूँ,
परंतु तुरंत देना संभव नहीं हो पाता !
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अब तो सभी केटेगरी ‘कोटेवाले’ हो गए,
तो लगे हाथ संसद में भी
सभी केटेगरी की महिलाओं के लिए
कुल 33% सीट आरक्षित कर अमर हो जाइये!
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