ग़ज़ल
हर इरादा मोहब्बत का नाकाम आया है
राहें अपनी जुदा हुई हैं वो मकाम आया है।
सुना है दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता
मेरे दुश्मनों में दोस्तों का ही नाम आया है।
वो ख़त जो हमने लिखेथे उनको बेकरारी में
जवाब में हमारी मौत का फरमान आया है।
गुनाह ए इश्क दोनों ने ही किया था कभी
बस मुझपे ही क्यों इश्क का इलज़ाम आया है।
यह आखिरी है मुलाकात इसे कुबूल करो
बेवफा तेरे लिए आखिरी सलाम आया है।
मुझे हर हाल में जीना गंवारा है जानिब
जब जिसकी जरूरत थी वो कब काम आया है।
— पावनी