आकुल (माहिया)
1.
जीवन जब आकुल है
राह नहीं दिखती
मन होता व्याकुल है।
2.
हर बाट छलावा है
चलना ही होगा
पग-पग पर लावा है।
3.
रूठे मेरे सपने
अब कैसे जीना
भूले मेरे अपने।
4.
जो दूर गए मुझसे
सुध ना ली मेरी
क्या पीर कहूँ उनसे।
5.
जीवन एक झमेला
सब कुछ उलझा है
यह साँसों का खेला।
— जेन्नी शबनम