सामाजिक

युवा अर्थात् वायु

युवा का उल्टा होता है “वायु”-अर्थात जो वायु के वेग से चल सके, जिसके मन में उत्साह हो, उमंग हो, जो जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारण किया हो और लक्ष्य प्राप्ति के लिये दृढ़ संकल्प हो वह युवा है, युवा वर्तमान है, जो खुद को बेहतर बनाने के लिये जो सोचता और करता है वह युवा है, आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा और दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने का साहस रखने वाला युवा है।
युवा सम्राट स्वामी विवेकानन्द जी कहा है – युवा वह जो जोश से भरा हुआ है, जो सदैव क्रियाशील रहता है, जिसमें शेर जैसा आत्मत्व है, जिसकी दृष्टि सदा लक्ष्य पर होती है, जिसकी शिराओं में गर्म रक्त बहता है, जो विश्व में कुछ अनुठा करना चाहता है, जो भाग्य पर नहीं कर्म पर विश्वास रखता है, जो परिस्थितियों का दास नहीं उसका निर्माता, नियंत्रणकत्र्ता और स्वामी है।
उम्र का यही वह दौर है जब न केवल उस युवा के बल्कि उसके राष्ट्र का भविष्य तय किया जा सकता है। आज के भारत को युवा भारत कहा जाता है क्योंकि हमारे देश में असम्भव को संभव में बदलने वाले युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। आंकड़ों के अनुसार भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष आयु तक के युवकों की और 25 साल उम्र के नौजवानों की संख्या 50 प्रतिशत से भी अधिक है। ऐसे में यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि युवा शक्ति वरदान है या चुनौती? महत्वपूर्ण इसलिए भी यदि युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग न किया जाए तो इनका जरा सा भी भटकाव राष्ट्र और समाज के भविष्य को अनिश्चित कर सकता है।
युवा आत्मविश्वास का धनी होता है, वह ऊर्जा से ओत-प्रोत रहता है। यदि युवा ऊर्जा के बिखराव को रोक सके तो जिस तरह सूर्य की किरणों को सुनियोजित कर बिजली पैदा की जाती है वैसे ही युवा वर्ग अपनी ऊर्जा को सुनियोजित कर किसी लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे तो कामयाबी निश्चित है। युवा कठिन चुनौतियों से कभी पीछे नहीं हटता बल्कि संघर्ष करते हुए रास्ता बनाकर मंजिल तक पहुँचता है।
वर्तमान में देश जिस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, आशंकित है आगे क्या होगा?  पर्यावरण प्रदूषण, भ्रष्टाचार का दावानल, सूखते जल स्त्रोत, बढ़ती बेरोजगारी, नशाखोरी, आराजकता की भयावह दृश्य को केवल और केवल युवाशक्ति ही मिटा सकती है। पूर्व में हुई क्रांतियों की ही भांति आज के युग एक क्रांति की आवश्यकता है। सारे देश की निगाहें आज युवा शक्ति पर टिकी हुई है। अत: युग निर्माण के मंच से ऐसे युवाओं का आह्वान किया जाना चाहिये, जिनके दिल में देश और समाज के लिये कुछ करने की ललक हो, ऐसे युवाओ को मुख्य धारा से जोड़ना होगा।
उम्मीदों की पतंगों ने भरी उड़ाने होसलों की।
चलो अब देखते उचाइयां इन आसमानों की।।
— प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

शोध प्रशिक्षक एवं साहित्यकार लखनऊ (उत्तर प्रदेश) व्हाट्सएप - 8564873029 मेल :- [email protected]