लोहड़ी
तिल खुटिया रेवड़ी मिले तापो खूब अलाव।
मन चंगा है गा मेरा सरदारा घर जाव।
भांति भांति के बन रहे उनके घर पकवान
हमे खिलाया प्यार से जैसे हम भगवान।
चाचा जी के लाड में चाची जी का प्यार।
नीरज नयना हो गए तुम सब पर बलिहार।
लोहड़ी बीते हर्ष से मन का मिठे विषाद।
बार बार है आ रही प्रीती तेरी याद।
आप को लोहड़ी की हार्दिक बधाई
— आशुकवि नीरज अवस्थी