मुक्तक/दोहा

लोहड़ी

तिल खुटिया रेवड़ी मिले तापो खूब अलाव।
मन चंगा है गा मेरा सरदारा घर जाव।

भांति भांति के बन रहे उनके घर पकवान
हमे खिलाया प्यार से जैसे हम भगवान।

चाचा जी के लाड में चाची जी का प्यार।
नीरज नयना हो गए तुम सब पर बलिहार।

लोहड़ी बीते हर्ष से मन का मिठे विषाद।
बार बार है आ रही प्रीती तेरी याद।

आप को लोहड़ी की हार्दिक बधाई

— आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950