सिर मोर मुकुट कुण्डल धारी
सिर मोर मुकुट कुण्डल धारी
मनमोहक छवि श्री गिरधारी
पग कनक पैजनियां सोहत अति
कर कंगन, भाल तिलक धारी
सिर मोर…………………
यहु रूप निरख राधा प्यारी
वृषभान दुलारी सुकुमारी
बिसराय गई सुध तन मन की
अरु लोक लाज छोड़ी सारी
सिर मोर……………….
अधरन साजे मुरली न्यारी
कटि करधनि बांधे गिरधारी
मनमोहन सबको मोह रहे
सँग सोह रही राधा प्यारी
सिर मोर………………..
सब भक्तो के तारण हारी
यशोदा है जाकी महतारी
निज मात पिता के कष्ट हरे
मनमोहन बांके बनवारी
सिर मोर………………….।।
— अनामिका लेखिका