भजन/भावगीत

सिर मोर मुकुट कुण्डल धारी

सिर  मोर मुकुट कुण्डल धारी
मनमोहक  छवि  श्री गिरधारी
पग कनक पैजनियां सोहत अति
कर कंगन, भाल  तिलक धारी
सिर मोर…………………
यहु  रूप  निरख  राधा प्यारी
वृषभान    दुलारी   सुकुमारी
बिसराय गई सुध तन मन की
अरु लोक लाज  छोड़ी  सारी
सिर मोर……………….
अधरन  साजे  मुरली न्यारी
कटि करधनि बांधे गिरधारी
मनमोहन  सबको  मोह रहे
सँग  सोह  रही राधा  प्यारी
सिर मोर………………..
सब  भक्तो  के  तारण हारी
यशोदा है  जाकी   महतारी
निज मात पिता के कष्ट हरे
मनमोहन   बांके   बनवारी
सिर मोर………………….।।
— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com