खुशियां
मोहनजी अपनी गर्भवती पत्नी को मायके भेज कर मित्र के साथ बाजार में घूम रहे थे। वहाँ मेले का माहौल था। मोहनजी बोले -यार ये लड़कियां न हों तो बाजार फीका लगेगा। फिर वे पार्क गए। फूलों को देखकर उनके श्रीमुख से निकला –यार ये लडकियां और फूल एक समान, महक लुटाती हैं , सुन्दरता बिखेरती हैं। फिर वे मेला गए ,वहाँ भी खूबसूरत लड़कियां देखकर वो अजीब सी खुशी महसूस कर रहे थे।
तभी फोन बजा — आवाज आयी ,मुबारक हो आप पिता बन गए हैं। घर में लक्ष्मी आयी हैं। अचानक उनकी सारी खुशियां चूर चूर हो बिखर गयी।
— महेंद्र कुमार वर्मा