गीत/नवगीत

नींद चैन की सोई नहीं है

अतीत पीछे छूट गया है, वर्तमान में कोई नहीं है।
नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं है।।
संग साथ से चलता है जग।
कभी कभी मिल जाते हैं ठग।
विश्वासघात की चोट से देखो,
दिल की भी हिल जाती है रग।
जीवन अमृत चाह सभी की, चाहता कोई छोई नहीं है।
नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं है।।
प्रेम तत्व की चाह सभी को।
प्रेम से मिली आह खुदी को।
उलझन भरा प्रेम का पथ है,
मिलती नहीं, राह सभी को।
जग में रहना, सबको सहना, ओढ़ी तुमने लोई नहीं है।
नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं है।।
मिलने से पहचान न होती।
पहचान ही आश है बोती।
आशा से फिर चाह जागती,
चाह से निकले जीवन मोती।
संग-साथ कभी फल नहीं सकता, प्रेम बेलि यदि बोई नहीं है।
नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं है।।
समय भले ही बहुत है बीता।
जीवन हो गया रीता-रीता।
प्रेरणा बिन नहीं जीवन कटता,
जीवन के बिन मैं हूँ जीता।
गयीं दूर, अब मिलना मुश्किल, किन्तु आश अभी खोई नहीं है।
नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)