बाध्यता के बीच
कई-कई जगह
पशु-शृंखला भी
देखने को मिले,
खासकर
“बोतु शृंखला”
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जब गुरु द्रोण नहीं मिले,
तब एकलव्य ने खुद के भीतर
टैलेंट पैदा करके
क्या बुराई की ?
क्या खुद की प्रतिभा को
बाहर निकालना अपराध है?
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टैलेंट की यहाँ पहचान
कहाँ हो रही है ?
सिरफ़….
सुंदर कपड़े,
मकान, गुंडई
और तमाशा
करनेवाले को ही
लोग पहचान रहे हैं !
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बिहार मानव शृंखला,
19.01.2020
क्या ‘काठ की हाँड़ी’
बार-बार चूल्हे पर
नहीं चढ़ पायी ?
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हमारे कुछ शिक्षक मित्र
‘दोमुँहे साँप’ हैं !
गाँव में
ऐसे विशेषज्ञ व्यक्ति को
क्या ‘भड़ुवे’ कहा जाता है ?
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मनिहारी, अमदाबाद में
असफल रही
“मानव शृंखला” !
सिर्फ़ आधे घण्टे में
जनता की गाढ़ी कमाई के
करोड़ों राशि
‘सरकारी खजाने’ से फुर्र..
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बिहार मानव शृंखला,
19.01.2020
एक स्वैच्छिक
सामाजिक अभियान है,
शिक्षक-कर्मी को
इस हेतु ‘बाध्य’ करना
‘मानवाधिकार’ का उल्लंघन है !
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बिहार के एकमात्र सक्रिय
गिनीज़ होल्डर
और मानव शृंखला को
लिम्का बुक तक
पहुँचानेवाले को
शासन-प्रशासन की ओर से
सम्मान न देना अपमान है!
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सच है,
जहाँ प्रेम है,
वहीं नाखुशी भी है !
सुप्रभात,
शुभ दिवस मित्रो !
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स्वतंत्रता दिवस
और गणतंत्र दिवस में भी
विद्यालय-कार्यालय
खुले रहते हैं,
पर ‘हाज़िरी’ नहीं बनती;
पर मानव शृंखला में
जबरदस्ती क्यों?
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जिसे क्षतिपूर्त्ति नहीं चाहिए,
उस कर्मी-शिक्षक को भी
रविवार को स्वैच्छिक मानव शृंखला में
उपस्थिति के लिए
प्रधानाध्यापक को
बाध्य कर रहे हैं !