बाल कविता – तुलसी
लाल – हरे तुलसी के पत्ते।
लगते तीखे जब हम चखते।।
कहती दादी अति गुणकारी।
तुलसी-दल की महिमा न्यारी।
वात और कफ़ दोष हटाती।
हृदय रोग भी शीघ्र मिटाती।।
उदर -वेदना, ज्वर को हरती।
भूख बढ़ाती, बुद्धि सँवरती।।
रोग रतौंधी होता दूर।
डालें पत्र – स्वरस भरपूर।।
कर्ण-वेदना , पीनस जाती।
सूजन को भी हरती पाती।।
दंत – वेदना में हितकारी।
मुख रोगों में भी सुखकारी।।
खाँसी ,श्वास रोग हर लेती।
तुलसी’शुभम’शिवम कर देती।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’