गीत/नवगीत

बेटी के कोमल सपनों को

बेटी के कोमल सपनों को ,
शिक्षा के दो पंख लगादो |
सपनो को पूरा कर पाए,
पंखो को परवाज़ भरादो |
बेटी के ……….
नहीं खिलौने घोड़ा गाड़ी ,
भाए कोई नहीं सवारी |
मैं स्तम्भ बनूँ शिक्षा का ,
शिक्षा का हर पाठ पढ़ा दो |
बेटी के ………
नहीं कीमती मागूँ कपड़े ,
नहीं चाहिए कंगन झुमके |
पढ़ लिख ऊँचा नाम करूँगी,
बस कॉपी किताब दिलादो |
बेटी के ………
बंधन की झूठी शादी में,
रीति नीति की परिपाटी में |
नही जकड़ना मुझको बाबा,
न हीरा न मोती मांगू,
मुझको कलम दवात मंगादो |
बेटी के ………
हम इक्कीसवीं सदी के बंदे ,
भेद भाव में अब भी अंधे |
बेटा पढ़े तरसती बेटी ,
बेटी को अधिकार जरा दो |
बेटी के ……….

— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016