गीत/नवगीत

भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी

भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।
मन की कहें, मन की सुनें, मन से मन की चिंता हर लें।।

जब से हम हैं, मिले थे पथ में।
क्षण ना बैठे मन के रथ में।
साथ रहे पर मन न बसे हम,
भटके बहुत हैं जीवन जगत में।
इक-दूजे के दिल में उतरें, मन में बसी, वो पीड़ा हर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।

संध्या वेला आने को है।
संभलो, दिन ढल जाने को है।
इक-दूजे में आओ समाएं,
रात अंधेरी आने को है।
कौन कहेगा? क्या? को छोड़े, इक-दूजे के मन की कर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।

शिकवा-शिकायतें छोड़ के आओ।
गीत प्रेम के केवल गाओ।
दूरी बहुत सही हैं अब तक,
मिलन की वेला सुखद मनाओ।
सारी दूरी मिट जाएंगी, इक-दूजे के मन को वर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)