भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।
मन की कहें, मन की सुनें, मन से मन की चिंता हर लें।।
जब से हम हैं, मिले थे पथ में।
क्षण ना बैठे मन के रथ में।
साथ रहे पर मन न बसे हम,
भटके बहुत हैं जीवन जगत में।
इक-दूजे के दिल में उतरें, मन में बसी, वो पीड़ा हर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।
संध्या वेला आने को है।
संभलो, दिन ढल जाने को है।
इक-दूजे में आओ समाएं,
रात अंधेरी आने को है।
कौन कहेगा? क्या? को छोड़े, इक-दूजे के मन की कर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।
शिकवा-शिकायतें छोड़ के आओ।
गीत प्रेम के केवल गाओ।
दूरी बहुत सही हैं अब तक,
मिलन की वेला सुखद मनाओ।
सारी दूरी मिट जाएंगी, इक-दूजे के मन को वर लें।
भाग दौड़ है, बहुत हो चुकी, आओ बैठें बाते कर लें।।