कीचड़ में कमल
कमल के पिता उत्तम चंद साइकिल पर कपडा बेचने का करते थे| उनका गरीब सात लोगों का परिवार था जो एक कमरे में रहता था| कमल माँ से बोलता, “मुझे बढिया स्कूल में पढ़ना है और जिस वकील साहिब के तू काम करती है उनके बच्चों जैसे कपड़े पहनने हैं|” माँ डांटती, “हम गरीब और पिछड़े लोग हैं| हम उन पढ़े-लिखे लोगों की नकल नहीं कर सकते| प्रभु का शुक्र करो खाने को मिलता रहे|” कमल बहुत महत्वकांक्षी और परिश्रमी था| उसके सपने बड़ा आदमी बनने के थे| कमल माँ के साथ काम पर जाने लगा| वहां वकील साहिब के लडके ने कमल के मन की चाहत पहचान ली और उसे अंग्रेजी भाषा लिखने और बोलना सीखने पर ज़ोर दिया| कमल को ये भी कहा, “मेहनत से हर काम मुमकिन है|” कमल अपनी भाषा ज्ञान और पकड़ की धुन में स्कूल में बढ़िया पढ़ाई करते हुए बैंक के पेपर पास कर अफसर लग गया| एक दिन अपने परिवार को गंदी वस्ती से निकाल अच्छे घर में रह सब सपनों को पूरा किया| सभी भाई-बेली यही कहते, “उत्तम चंद के तो घर कीचड़ में कमल खिला है|”
-– रेखा मोहन