क्षणिका क्षणिका मनोज शाह 'मानस' 24/01/2021 जली को अगन कहते हैं बुझी को शमन कहते हैं तन के अंग अंग मन के कण कण में बसी उस कर्णधार को कृष्ण नाथन कहते हैं! — मनोज शाह ‘मानस’