कविता

पंचशील

सोने की चिड़ियाँ था मेरा भारत,
सब धर्मो का आदर में समर्पण.
कितने कवि हुए कितने धर्मो के
लेकर सदगुणों का यहाँ अर्पण.
राजा अशोक ने प्रेम और सद्भाव
लिए युद्ध के नतीजे से हो दर्पण.
सम्राट अकबर राष्ट्र निर्माण किया
मन में जीने का सही सा संगठन.
देश आज़ादी बाद एशिया के देश ने
बनाया लिखित पंच शील अधिबेशन.
मानने होंगे शांति के पांच सिद्धांत।
आए भय में चीन से चाऊ-एन-लाई,
बने गुटनिरपेक्ष इसके ही सन्मान ।
रखे सम्मान अखण्डता का,
न हो युद्ध को दे कोई मान.
रहे न प्रभावित जनता सिथति ,
समता भाव शांतिपूर्ण सहिष्णु ।
हो स्थापना आदर्शवाद अपना ।
प्रगति से हो ऊंचा विशाल शान.
समाजवाद का हो बढ़ावा खूब ।
बने विश्ब –बंधुत्व का जग गान.
— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]