पंचशील
सोने की चिड़ियाँ था मेरा भारत,
सब धर्मो का आदर में समर्पण.
कितने कवि हुए कितने धर्मो के
लेकर सदगुणों का यहाँ अर्पण.
राजा अशोक ने प्रेम और सद्भाव
लिए युद्ध के नतीजे से हो दर्पण.
सम्राट अकबर राष्ट्र निर्माण किया
मन में जीने का सही सा संगठन.
देश आज़ादी बाद एशिया के देश ने
बनाया लिखित पंच शील अधिबेशन.
मानने होंगे शांति के पांच सिद्धांत।
आए भय में चीन से चाऊ-एन-लाई,
बने गुटनिरपेक्ष इसके ही सन्मान ।
रखे सम्मान अखण्डता का,
न हो युद्ध को दे कोई मान.
रहे न प्रभावित जनता सिथति ,
समता भाव शांतिपूर्ण सहिष्णु ।
हो स्थापना आदर्शवाद अपना ।
प्रगति से हो ऊंचा विशाल शान.
समाजवाद का हो बढ़ावा खूब ।
बने विश्ब –बंधुत्व का जग गान.
— रेखा मोहन