हमने ना स्वीकारा है
नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।
नारी नर को देवी है तो, नर नारी का प्यारा है।।
नारी नर से विलग नहीं है।
इक-दूजे की राह गही है।
नर नारी बिन जी नहीं सकता,
नारी नर की बनी मही है।
मिलकर दोनों होते पूरे, मिल कर संसार संवारा है।
नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।
नर-नारी संबन्ध निराला।
इक-दूजे का देत हवाला।
इक-दूजे को सदैव समर्पित,
मिलकर पीते प्रेम की हाला।
मिलकर बढ़ो, सृजन के पथ पर, प्रकृति ने तुम्हें पुकारा है।
नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।
नर की शक्ति नारी ही है।
कदम-कदम पर प्यारी ही है।
नर को प्रेरण देती है जो,
सखी सहेली नारी ही है।
जीवन के झंझावातों में, इक-दूजे का सहारा है।
नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।