कविता

आखिर कैसे?

दर्द के मंजर हर तरफ हैं यहां,
ज़ख्मों को छिपा मैं मुस्कुराऊं कैसे?
गर्दिश में आजकल हैं सितारे मेरे,
हौसलों को नए पंख लगाऊं कैसे?
चेहरे के ऊपर लगा रखे हैं कई चेहरे,
फितरत किसी की मैं जान पाऊं कैसे?
चंद सिक्कों में ईमान बिका करते हैं,
कौन अपना?कौन पराया?बताऊं कैसे?
ताउम्र दगाबाजी याद रहेगी यारों,
भूलकर रंजिशें,यारी अब निभाऊं कैसे?
— कल्पना सिंह

*कल्पना सिंह

Address: 16/1498,'chandranarayanam' Behind Pawar Gas Godown, Adarsh Nagar, Bara ,Rewa (M.P.) Pin number: 486001 Mobile number: 9893956115 E mail address: [email protected]